Monday 11 November 2013

भुवाली शाळेतील मी आध्यापिका.......................



आज का दिन काफी अच्छा रहा| आज तो मैं उस पद पर आ गई जो कि एक टीचर करता है, खैर अच्छा है की मैं टीचर नहीं बनने वाली पर मुझे मौका मिल गया स्कूल में| काफी मजा आ रहा था मुझे अपने स्कूल की याद आ रही थी जहा पर हमे भी टीचर पर सुपर्विजन करने आते थे| वे हर चीसे टेबल पर देखने आती थी| जैसे की इस स्चूल एक टीचर दो तीन लड़कों को चेक कर रहे थे| जो की करते ही है|

मेरा आज स्चूल के एक्साम मैं पहला दिन था| तो मैंने देखा जाते ही स्चूल मैं की, सिर्फ हम सुबह ७:१५ के पहले आ चुके थे, पर बाकी सारे टीचर ७:३० तक पहुच रहे थे| तो वे अपना साइन कर रहे थे, और और टीचर क्लास में भाग रहे थे| बच्चिनको को पेपर देने के लिए| तो मैंने हेडमास्टर जी को कहा के मुझे एक्साम प्रोसेस को देखना है| तो मैंने हेडमास्टर जी को कहा के मुझे एक्साम प्रोसेस को देखना है| तो उन्होंने ने कहा की आ जाइये|
कुछ देर बाद हेडमास्टर जी ने बोला की आप एक क्लास को देखिये तो मैं एक क्लास मैं चली गयी जहा पर छठी और आठवीं की कक्षा पेपर लिख रहे थे| उनकी सीटिंग अरेंगमेंट आलरेडी कर दिए थे| मैंने ८वि तथा छठी का प्रश्नपत्रिका देख लिया था| जो की, १० मार्क्स का objective paper aur 50 marks subjective. जब मैंने बच्चोंको पुछा की कौनसा अच्छा लगा तो वे बोले, १० मार्क्स वाला अच्छा था| पर दूसरा पपेर अच्छा नहीं था जो की, बहुत कठिन था, क्योंकि वह सारा अंग्रेजी मैं सुचनाये दी हुई थी| जब की मैंने देखा की, बहुत से बच्चोंको को अंग्रेजी समझमे नहीं आ रही थी, कछ बच्चे सिर्फ प्रश्न लिख्र रहे थे, तो कुछ प्रश्न का उत्तर कुछ और ही लिख रहे थे, सिर्फ दो तीन बच्चे छोडके बाकी सही लिखने का प्रयत्न कर रहे थे| पर एक बात मैंने बच्चोमें देखी की वे पेपर सिर्फ पूरा करने में लगे थे| किसी भी बच्चेने पेपर छोड़ा नही इवन वे एक्स्ट्रा उत्तर पत्रिका मांग रहे थे| इन बच्चोंको बैठने की ज्यादा आदत नहीं थी| पर वे आज शांत होकर पेपर लिख रहे थे|

 की वे पर ओब्जेक्टिवे में तो हिंदी में तो सुचनाये दी थी तो बच्चोंको समझने में आसानी हो रही थी

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