Thursday 14 November 2013


क्याकैसे लिखू पता नही,

लिखना चाहती हु बहुत कुछ.......

ये लिखना कितनी मस्त चीज होती है............

जहा पर रख सकते है अपनी बाते......विचार........

कोइ ना बोलनेवाला...ना सुननेवाला.........

क्योंकी कलम या किताब के पन्ने बोलते नाही....

और वो बोलेंगे भी क्यों............



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