Saturday 27 September 2014

टीचर के घर बिताये हुए वो ढाई घंटे................................

कल अपने टीचर के घर बिताये हुए वो ढाई घंटे मुझे याद रहेगे. अपने जीवन के २५ साल में पहली बार अपने किसी टीचर के घर जाने का मौक़ा मिला. एक अलग सा ही अहसास था उनके घरपर. उनके घर उनका पूरा परिवार याने दो बच्चे, सास-ससुर-पती ऐसा पूरा परिवार है उसके साथ-साथ delhi में उनके दादी-दादा ससुर भी है.

अब जाने का उद्देश यह था की मैम ने हमें दावत पर बुलाया था और उसके साथ gc भी थी. हमें इसलिए उनके घर जाने मिला क्योंकि हम सारे स्टूडेंट्स फील्ड वर्क के पिए उनके under superwise थे. मैम के साथ हम सारे सात स्टूडेंट्स एक अलग ऐसा रिश्ता था. हर एक स्टूडेंट्स के लिए उनकी अहमियत थी. जब भी gc में हम बाते करते थे तो ऐसे बाते कर रहे हो जैसे की गप्पे लड़ाने बैठे हो. लगता ही नहीं था की उनके साथ कोई फॉर्मल मीटिंग हो रही हो. हमने ऐसे कोई भी फिल्ड वर्क के बारे में या कीसी reading की बाते नहीं की वो इसलिए क्योंकि हम खाने का इतना स्वाद ले रहे थे और उसके साथ डेढ़ सारी बाते कर रहे थे. मैम के बच्चे भी थे उस वक्त. उनकी बच्चो ने बाते भी कुछ और कुछ बालगीतो के एक्टिविटी में भाग लिया था इवन हमारे मैम भी तो थी! अच्छा लगा इस तरह का एकसाथ आना.

इस तरह से मैम ने हमें बुलाया हम सबके लिए याने तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. यहाँ तक अपने टीचर के साथ रिश्ता होना याने की बहुत आदर्शवादी रिश्ता एक स्टूडेंट्स और टीचर के जैसा. इस तरह से रिश्ता बहुत ही कम होते है अपने स्कूल से लेकर हायर एजुकेशन तक अब तक बहुत कम टीचर हमें मिलते है जिनके साथ हम स्टूडेंट्स खुलकर बाते, वक्त बिता कर पाते है.

मुझे हमेशा लगता है की एक टीचर और स्टूडेंट्स का रिश्ता ऐसा हो जिसमे अपने मन की बात स्टूडेट्स से अपने टीचर तक पहुचे ताकी टीचर आगे कुछ तो या फिर ना भी करे तब पर भी अपने मन की बात बताने का पूरा मौक़ा हो स्टूडेंट्स को.

आज मैम को ना अब तक टीचर के रूप में देखा उसके साथ-साथ एक मा का रूप देखने मिला. कितनी समझदारी है उन्हें अपने बच्चो को के प्रती जो प्यार, जिम्मेदारी भी बहुत खुबसूरत तरीके से निभा रहे  है.


आज तो हम लोग कई सारी बाते ऐसे कर रहे थे अपने टीचर के सामने जो की हम स्टूडेंट अपने बीचो-बीचो करते है. लेकिन उनके घर वो पूरा मौक़ा था अपनी बाते खुलकर कहने का. मैम के लिए भी तो कितना आश्चर्य रहा होगा की हम स्टूडेंट इतनी सारी बाते कितने सारे चीजो के उपर करते है. चलो अच्छा ही है की स्टूडेंट्स की बाते सुनने मिलती है उन्हें. 

Sunday 21 September 2014

जीवन एक कहानी है.......................................

इस तीन दिन के प्ले conferance में कई सारे लोगो से मुलाक़ात हुई. बहुत सारी बातचीत हुई, सवाल-जवाब हुए. जिनकी अपनी संस्था है वे बच्चो के साथ अपना एक एजेंडा ले जाते हुए काम कर रहे है. अच्छा लगता है ऐसे लोगो से मिलने के बाद. ऐसे लगता है की उन्ही के संस्था में काम करना चाहिए. लेकिन अपना इंटरेस्ट ही मुझे आगे ले जाएगा. 

मै सोच रही थी, काउंसलिंग में आने के पहले मेरी मुलाकत, कई सारे लोगो से हुई थी जैसे की मेरे नेबर हो या दोस्त या फिल्ड में जाने के बाद जो लोग मिलते थे वो. लेकिन उन सारी लोगो की अगर मै कहानी लिखने जाऊ तो पता नहीं कितनी सारी कहानियो की किताब बनेगी. उस एक-एक करके बातो को लिखना उसका अपना मजा होगा जैसे की नौकरानी के डायरी में लिखे हुए पन्नो की तरह.



ऐसा लगता है की जीवन एक कहानी है. अपने जीवन की हर बाते एक कहानी का रूपधारण करती है. उस जीवन की कहनियों में भी कहानियाँ बनती जाती है. वो ऐसे ही आगे बढ़ते जाती है. वो कभीं नहीं थमती. कहानी के कई रूप होते है. कुछ कहानियाँ सच्ची होती है तो कुछ देखी, अनकही, झूठ, गंभीर, परेशान करने वाली होती है. उसके पात्र एक वक्त में कई सारे होते है. कुछ कहानिया बदलती रहती है तो कुछ हालतों से बदलती रहती है. वैसे तो कहानियों का बदलना उसका गुणधर्म होता है. कहानी के कलाकार कई सारे होते है. कुछ कहनियों में एक ही कलाकर होता है. इस कहानी को रंग लाने के लिए कई सारे बातों को डाला जाता है. कुछ कहानी एक दिन की होती है तो कुछ कहानिया एकदूसरे से जुडी हुई होती है. कुछ कहानी से सदियों से बनी हुई होती है तो जिसे ना कोई बदल सकता है पर कुछ लोग उसमे और कुछ बाते डालकर उसे बदलते रहते है. कुछ कहानियाँ बनी हुई होती है तो कुछ कहानियों को बनाया जाता है. इन कहानियों को समझने के लिए उसे सुने ताकि उन कहानियों को समझ पाये. और हो सके तो उस ही वक्त लिखा जा सकता है. ताकि उस कहानीको शुरू से समझ पाए और उसका सीक्वेंस लगातार देखा जा सकता है. लेकिन वही सीक्वेंस को बीच में टूट भीं जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन को और एक कहानी बन जाती है. फिर और एक मोड़ के लेते हुए वो आगे बढती है. इस कहानी के पात्र बड़े मजेदार होते है कोई बहुत सुंदर, कोई हसाऊ, पढाऊ, बकने वाला, कोई गुस्सा करनेवाला. कहानी तो कहानी होती है उसमे अपनी-अपनी बाते होती है.