डूंगरपुर जिला
राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर का मिला जुला क्षेत्र "वागड़" कहलाता है। वागड़ प्रदेश अपने उत्सव प्रेम के लिए जाना जाता है। यहां की मूल बोली "वागड़ी" है। जिस पर गुजराती भाषा
का प्रभाव दिखाई देता है। वागड़ प्रदेश की बहुसंख्यक लोग भील आदिवासियों की है।
वहा पर कलाल समाज के भी लोग रहते है|
यह इलाका पहाड़ो से घिरा हुआ है| इन्ही के तो बिच इन आदिवासी का घेरा है|
इन लोगो के बारे में कहा जाए तो, वे दुनिया के
बातो से अजनबी है| वे अपने ही लोगो में रहते है| जैसे कहा गया है की, वे दुनिया के
वास्तविकता से कोई तालुक्कात नहीं करते लेकिन, गुजरात पास में है तो काम के
सिलसिले में अहमदाबाद में पलायन होता है और नेशनल हाईवे की स्थित में ही इलाका
होने के नाते लोग अब जानने लगे है|
इनमे देखा जाए तो वे एक दुसरे के लिए हमेशा मदद
के लिए तैयार होते है| यही इनकी विशेषता है| जैसे शादी की बात की जाए तो लोगो के
मदद की वजह से शादी की विधि पूरी की जाती है| शादी के हल्दी की रस्म में जो कोई
हल्दी लगाने दूल्हा या दुल्हन को लगाने आते है, हर कोई अपने अपने हिसाब से पैसे
देने की कोशिश करता है और उसीसे से शादी की आगे की रस्म पूरी की जाती है|
हमारी भारतीय संस्कृती पुरुषप्रधान मानी जाती
है| लेकिन इन्ही लोगो में औरते और पुरुष एक जैसे ही माने जाते है| लड़के और लडकियों
को अपने पसंदीदार व्यक्ति को चुनने की संमती होती है| जैसे अप्रैल महीने में
“भगोरिया” नाम का त्यौहार होता है| इनमे लड़के लडकिया मेले में आते है आते है, इस
मेले में वे अपने पसंदीदार व्यक्ति को चुनके शादी की जाती है|
यहाँ की भाषा अगर जानो तो वागडी में बोली में
बोली जाती है| यह भाषा थोडीसी गुजराती तथा हिंदी भाषा से मिलती-जुलती है| वैसे तो
पास में ही २५ किलोमीटर की दुरी पर गुजरात है| इस वजह से भाषा उनसे मिलती जुलती
है|
यहाँ पर महुआ नाम की शराब बनाई जाती है| जब महुआ
के पेड़ पर फूल आते है, तो बड़े से लेकर छोटे बच्चो तक महुआ के फूलो को बिनते है और
उसके बाद उसपर महुआ जाती है|
शिक्षा अब इन्ही लोगोमे बढ़ रही है, स्कूल में लडकियों
की संख्या ज्यादा से ज्यादा दिखेगी | ज्यादा करके बच्चे वहापर शिक्षक-शिक्षक की बनने
की रूचि है है|
बिच्छिवारा के इलाके में नागफणी नाम का मंदिर है
जो जैन धर्म लोगो के दैवत है| चुंडावाडा और कनबा नाम के गाव लोगो में जानामाना है
क्योंकि वहा का हर घर पढ़ा-लिखा है| कनबा गाव में ज्यादा से ज्यादा शिक्षको के घर
स्थित है| उसके अलावा वकील, डाक्टरी की हुई लोग भी वहापर रहते है| चुंडावाडा में
चुंडावाडा नाम का महल जानामाना है|
इनके लिए होली यह सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है,
होली के पंधरा दिन पहले ही ढोल बजाये जाते है| होली दे दिन में लड़के-लडकिया नृत्य
करते है|
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