Wednesday, 31 December 2014

मै कैसी हु?............................................

आज अपने दोस्त ने पूछा की मै कैसी हु
जवाब में तो था, “मै ठीक हु
मै वैसे ही हु जैसे थी
मै हर दिन बदलते रहती हु 
मै वो नही रह पाती
जिसे रहना है 
मै वैसे ही हु जो तुम मुझे देखती हो  
मेरे मन के भीतर तुम झांक नहीं सकती 
यह जानने के लिए की मै कैसी हु 
मै वैसे हु जो तुम मुझे अपने बाहरी जीवन में देखती हो  
मेरे ओठों की हसी, मेरी आँखों के चमक से 
मेरा जीवन को तुम पढ़ लेती हो   
मै अंदरूनी जीवन को तुम क्या जानो?
जिसे जानने के लिए तुम्हे मेरे मन के भीतर को झाकना होगा 
मुझसे प्यार भरी दोस्ती करनी पड़ेगी 
तब तुम्हारे सवाल का जवाब दिया जाएगा. 

जवाब में तो था, “मै ठीक हु 
जवाब देने के बाद मन में एक अचानक से शांती लगने लगी.
आगे और क्या जवाब दिया जाए अपने दोस्त को वो समझ नहीं आया?
लेकिन क्या मै वाकई में ठीक हु?
दिमाग में कई सारे विचार चलते रहते है दिनभर
उसके लिए अपने खुद के साथ झगड़ा शुरू हो जाता है
कभी अपने से खुश हु तो कभी रूठ लेती हु
लेकिन फिर एक बार मन मुझे मनाने चला आ जाता है
मुझे बाहों में भरकर फिर एक बार शुरू जीवन की रफ्तार को शुरू कर देने के लिए कहता है
अगर बीच में ही कुछ गड़बड़ हो तो मेरा मन कहता है कोई बात नहीं
फिर एक बार अपनी रोजमर्रा जीवन को जीने के लिए तैयार हो जाती हु
मेरे मन को मानते हुए. 

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