आजकल BMC स्कूल में
जाने का मौक़ा मिल रहा है, एक फील्ड वर्क के स्वरुप में. कई सारे अनुभव मुझे करीब
से जानने, महसूस करने मिल रहे है. बच्चे मुझे कई सारे सवाल करते है की मै कौन हु?
क्या काम कर रही हु?
तो कल तीसरी कक्षा
के क्लास में चली गयी थी, एक बच्ची ने मुझे यह सवाल किया की, “मै कहा रहती हु”? तो
उसी सवाल से अपने पिछले स्कूल के अनुभव याद आने लगे और लगा की उसके बारे में इस
सवाल के साथ लिखा जाए.
बच्चो के आसपास अगर
कोई उनके उम्र से बड़ी व्यक्ती मिले तो उन्हें बहुत आश्चर्य होता है. लेकिन ऐसे
वक्त में बच्चे मेरे बारे में सामन्य व्यक्ती की तरह देखे. वे मुझे अपने जैसा ही
माने. मुझे कोई बड़ा न बनाये. तो इस सोच को कविता के जरिये बच्ची को बताना चाहती हु
की वो मुझे अपने जैसा ही महसूस करे.
“तुम्ही बिल्डिंग मधे राहता”?
इस सवाल का जवाब क्या दिया जाए?
मै भी तुम्हारी तरह सामन्य सी जिदंगी जी रही हु.
मै भी तुम्हारे तरह BMC स्कूल में पढ़ती थी.
जैसे तुम पढ़ती हो.
मैंने भी अपने टीचर की मार खाई है.
मैंने भी कक्षा में बैठकर हल्ला-गुल्ला किया है.
पढाई लिखाई में अलिप्त रहना यह मेरा काम लेकिन अन्य चीजो में रहना यह
मेरी जरूरत.
एक थी चीज स्कूल में मजा-मस्ती
जो हमेशा अपनी लगती थी, और आज भी लगती है.
अपने आगे असेंबली के वक्त बैठी हुई लड़की के जूओ को उसके बालो में तैरते
हुए गौरसे देखा है
और अपने ही बालों के जूओ को उसके हाथों से, अपने हतेली में रखते हुए देखा
है
जब लडकियों के टॉयलेट का दरवाजा बंद देखती,
तो मन में संदेह आता की कुछ गड़बड़ है?
लडकों के टॉयलेट को ताकते हुए जाने की हमेशा उत्सुकता थी की कैसा है
अंदर?
अपने स्कूल में अच्छी और बुरी टीचर के बारे में बात करते हुए अपने आप
में देखा है.
अपनी वो टीचर जब भी पास से गुजरती तो उसके कपडों के खुशबु आज भी नाक
में सूंघ रही हु
अपने उस सर की बड़ी आवाज आज भी कान में गूंजती है
उन दोस्तों के हसी-मजाक आज भी याद है
वो स्कूल में लड़के-लडकियों और लडकियों-लडकियों की जोडीया बनाकर चिढ़ाना
बुरा लगता था
लेकिन अभी-कभी आँखे, आँखों से टकरा जाए तो शर्म के मारे आँखे निचे हो
जाती है
या फिर कभी हसी फूटती है.
लेकिन आज वो स्कूल नहीं रही जिस स्कूल में पढ़ती थी,
वो स्कूल underdevelopment में चली गई.
उसकी दीवारे, उसकी तस्वीरे मेरे मन के कोनों में दिखती है
वो स्कूल भले ही नहीं लेकिन मेरे आँखों के सामने हमेशा रहती है उन
यादों के जरिये........................
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