कल का दिन था ५ वे दिन के
गणपती अनंत चतुर्थी| हमारे कॉलेज में भी स्टाफ कॅाटर्स के लोगो ने भी गणपती बिठाया
था| उन्होंने सिर्फ ५ ही दिन बिठाया| शाम को गणपति जाने का समय था| टीस के
स्टूडेंट्स अपनी पुरे दिन के लेक्चर को अटेंड करके बाकी का समय assignment,
research को पूरा करने के लिए देते है|
लेकिन उसी ही दिन कॉलेज का
गणपती भी निकल रहा था| थोडीही देर में टिस का माहोल फटाके और ढोल-ताशेरे के साथ
मिल गया था| वहा पर सिर्फ ढोल की गुंज सुनाई दे रही थी, पढाई थोड़ी देर के लिए इस
शोर ने ले ली थी| लायब्ररी में बैठे हुए स्टूडेंट्स थोड़ी देर के लिए बाहर आये थे,
कोई खिड़की से झाक रहे थे| पैर, हाथ, गर्द हिलने लगी थी| चेहरे पर मुस्कुराहट, ख़ुशी के भाव थे|
कुछ बच्चो ने ढोल के शोर के
साथ अपने आप को मिला दिया याने की खुद ही नाचने लगे थे| जैसे कहते थे है बेगानी के
शादी में अब्दुला दिवाना! लड़के-लडकिया अपने आप को पढाई से हटाकर कुछ देर के लिए
नाचने में गुम हुए थे| अपनी दिनभर की थकान को मिटा रहे थे|
बजाने वालो को भी काफी जोर
था बजाने के लिए| स्टूडेंट्स एकदूसरे को प्रेरित कर रहे थे की वो भी नाचे| कुछ लोग
तस्वीरे खीच रहे थे|
आने वाले समय में कॉलेज में
महा-सत्यनारायण पूजा होनेवाली है| इससे दिखाई देता है की अपने भारतीय संस्कृति
बढ़ावा दे रहे है| इससे और एक बात है की जो बच्चे अपना घर, लोग छोडके पढ़ने आये है
उन्हें भी अपने यह त्यौहार मनाने के लिए मौक़ा मिला| जिससे एकदूसरे के प्रति प्यार,
संस्कृति को साझा करने के लिए यह वक़्त अच्छा रहा है|
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