पिछले दो दिनों से हमारे यहाँ शादी का माहोल चल रहा है, वैसे तो शादी है गुजराती के घर की, उन्हें हमारे यहाँ के लोग “छैया” कहते है| जिस घर में शादी हो रही है, वे सिर्फ हमारे बगल के घर मे रहते है, मतलब उनके घर की दिवार और हमारे घर की दिवार एक
ही है| घर के सामने मैदान में मंडप सजाया हुआ है, जहा पर रातको औरते गुजराती में गाने गाते है और उस गानो में तो
बहुत सारी गालिया दी जाती है और वो भी दुल्हे की माँ, पिता, भाई, देवरानी या जेठानी के नाम लेते हुए| उसमे लोग मजे लेते है|
आज तो
पार्टी थी, वैसे तो शादी कल है | आज दुल्हे की मा और सारे घर वाले उसके भाई के घर
जाते है, वहां पर भाई याने दुल्हे का मामा, बहुत सारे सोने के जेवर, कुछ घरेलु सामान, कपडे देते है| इस गतिविधि को, “मामेरू” कहते है| मैंने सुना की कोई लोग तो २० लाख तक का सामान
देते है| पता नहीं इनको कितने रुपयोंका मिला| उसी के साथ रातको DJ है | इसमें तो आधी chawl के लोग नाचने तथा देखने
आयेंगे | मेरी दोस्त आरती इस DJ को “चाँदनी बार” कहती है | देखो अभी तो कुछ देर के बाद मेरा घर तो हिलने
वाला होगा | लोगोंको नाचते हुए देखने में तो मजा आएगा
क्योंकि हर कोई अपने ढंग से नाचता है| आज तो बहुत सारी दारू, बियर पि ली जाएगी| और फिर कल लोग इसी जोश में शादी में जाने के लिए
तैयार हो जायेगे |
इन
लोगोंको के समाज में भी एक बात दिखाई देती है की, वे लडकियोंकी शादी जल्दी करवा देते है| क्योंकि उन्हें डर होता है, की कई हमारी लडकिया किसी के साथ भाग ना जाये, और दूसरी बात यही की सारे लोग सोचते है की
लड्कियोकी शादी जल्दी करवानी चाहिए और एक बात देखि की इनके लड्कियो के किसी के साथ
सबंध देखे तो वे तुरंत ही उसी या किसी अन्य लड़के से शादी करवा देते है| हमारे chawl में एक लड़की को एक लड़के से प्यार था| वे दोनों भी गुजराती ही है और एक ही चाली में रहते है मतलब दोनों का घर एक दुसरे के
सामने ही है| तो उनके दोनों परिवार ने दोनों के शादी का
निर्णय ले लिया अभी शादी को कुछ ५ से ६ साल ही हुए होगे, उन्हें एक ३ से ४ साल की बेटी भी है| मनीषा अब शरीर से एकदम दुबली – पतली है| ऐसा लगता है की वो बहुत बीमार है | और मुह से लगता है की वो खुश नहीं है जैसे के
मैंने उसे शादी से पहले देखा था| शादी से पहले वो बहुत खूबसरत लगती थी, आज वो खूबसूरती उसमे दिखती ही नहीं|
वैसे
तो मेरे अबतक का शादी-शुदा औरतो के लिए अनुमान यही रहा है, की वे शादी के पहले से जो अपनी ख़ुशी वाली
जिन्दगी जी रही थी, शादी के बाद जिन्दगी बहुत उदासी से भरी हुई, दुःख-दर्द, परेशानी, बहुत सारे जबाबदारी से उलझे हुए इत्यादी | पता नहीं शादी में ऐसा क्या है की, शादी के तुरंत बाद इतना बड़ा फर्क गिर जाता है, और यह फर्क मैंने ज्यादा करके शरीर ओर मन को
देखते हुए महसूस किया हुआ है| अगर यह तकलीफ़ उनकी साथ वाली औरतों को बताये तो वो अपने साथ क्या हुआ उस बात को
बोलने के लिए कुछ दिन के बाद भूल जाती है, और सिर्फ वे अपने पति, ननंद, सास, पिता, जेठ, देवारानी-जेठानि और उनके बच्चे के भी बारे में
ही बाते करती है, जैसे उसने ये किया, ऐसे किया, उसका व्यवहार ऐसा है इत्यादि | शायद वो कहिना कही वो अपने दर्द को उसी बातों से कम करती हो | बड़ी अजीब सी है यह औरतों की जिंदगी | तब पर भी इतने सारी दुखों में कैसे भी करके जी लेती है |
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