Wednesday 28 October 2015

वाचा के स्टाल पर कैरियर और जेंडर की बाते बच्चो के साथ.............................

वाचा संस्था में आने के बाद से मैंने उनके कई सारे कार्यक्रम में भाग लिए. कुछ प्रोग्राम लडकियों के सवालो से जुड़े थे तो कुछ कैरियर से जुड़े थे. काफी अच्छा भी लग रहा था क्योंकि बच्चो के साथ अब मेरा संवाद फिर से शुरू हुआ है. मैंने आखरी संवाद तो टीस के फील्ड वर्क के दौरान सरकारी स्कूल में काम करते वक्त किया था और अब वाचा में आने के बाद.

उनमे से कुछ कार्यकृम के अनुभव या लिख रही हु जो काफी इंटरेस्टिंग थे. तो कुछ वही दुखभरी, परेशान कर देनेवाली. लेकिन अनुभव तो अनुभव होते है. उसके अपने रंग-ढंग होते है. वो कभी ख़ुशी और दुखी देनेवाली होते है. तो बात करते है वाचा के कार्यक्रम के कुछ अनुभव के बारे में.

खिले और हतोड़ी का खेल

जेंडर और हेल्थ मेले के नाम के एक स्टाल था जहा पर हतोड़ी और खिले रखे हुए थे. जिसमे लडकियों को हतोड़े का इस्तेमाल करते हुए एक लकड़े पर खिले ठोकने होते है. इसमें दो स्टूडेंट के बिच हमने स्पर्धा भी रखी थी जिसमे कोई बक्षिस न था पर लडकियों को यह सन्देश देना था की वे इस तरह के काम भी अपने हाथो से कर सकती है. यह काम केवल अब्बू, भाई, फूफा का नही बल्कि औरते, लडकिया भी यह काम खुद से कर सकती है. लडकिया इस स्टाल पर बहुत आनंद ले रही थी. कोशिश यह है की उनके विचारों में यह भी विचारों का प्रवेश हो.

कुछ लडकियों को मैंने सवाल किये की उनके घर में, हतोड़ा, खिले है तो उन्होंने कहा की है. उसके आगे पूछा की, कौन इस्तेमाल करता है यह चीजे तो उन्होंने जवाब दिया की, “अब्बु”. तो मैंने कहा की क्या आप भी इस्तेमाल करते हो तो उन्होंने कहा की नही. उसके आगे कहा की आज इस काम की शुरुवात यहा से करे और घर जाने के बाद जब कभी जरूरत पड़े तो खुद को इस काम को करना है.

कैरियर मेला – नववी/दसवी के बच्चो के लिए

दाउद बाग़ नाम के स्कूल (नववी और दसवी के बच्चो के साथ) कैरियर मेला देखने लायक था. बच्चो के साथ काफी मजा और उनके सवाल भी बेजवाब थे. उनके मन में सवालो की बोछार हो रही थी. वे हर स्टाल पर पूछ रहे थे. अधिकतर लडकियों को टीचर बनना था. वे जानना चाह रहे थे की उन्हें टीचर का कोर्स किस समय शुरू करना है? स्टाल पर ज्यादा करकर १० वी के बाद के डिप्लोमा/शोर्ट टर्म कोर्स थे. जो तुरंत १० वी के बाद करनी होती है. जहा पर वाचा की उनके कैरियर की नीव डालने की कोशिश थी. अच्छा लग रहा था जब मुझे बच्चे सवाल कर रहे थे. उनके कई सारे सवालों के जवाब देना उस वक्त मुश्किल था तो कुछ एक के सवालो के जवाब देना काफी आसान. कुछ एक सवाल जवाब न देनेवाले सवाल इस तरह के थे जैसे की, क्रिकेट सिखने के लिए क्या करना चाहिए? कुकिंग का कोर्स करना है तो क्या किया जाये? बाकी सवालों के जवाब देने आसान थे जैसे  की,  टीचर बनने के लिए क्या किया जाए? ड्राइंग में आगे कैसे बढे? डिप्लोमा क्या होता है?  टीचर बनने के लिए परसेंटेज कितने चाहिए होते है?
आर्ट के बारे में बताइये (बच्चो को बताना पड़ा की उन्हें वाकई में क्या जानना है इस स्ट्रीम के बारे में). इस तरह के सवाल थे. कुछ बच्चो के चेहरे को देखते हुए लग रहा था की वे जानते थे की उन्हें अपने जीवन में क्या करना है तो वे उसी स्टाल पर जा रहे थे. तो कुछ बच्चो के लिए कैरियर के सवालों के जवाब न पता होने जैसे था इसलिए वे हर स्टाल पर जा रहे थे.
यह लीगल ड्राइंग होती क्या है?
एक बच्चे ने एक सवाल पूछा था  मुझे की लीगल ड्राइंग क्या होती है?” तो मैंने उसे सवाल को विस्तार सेबताने के लिए कहा. तो वो बता रहा था की, “कुछ लोग एक दिल का चित्र बनाते है. जो अच्छा नही होता”. तो मैंने कहा की जो तुम सोचते हो या देखते हो अपने आखो से वो सबकुछ आप अपने चित्र में लाते हो. लेकिन जब तक आप किसी सामने वाले व्यक्ति और आपको परेशानी या कोई उलझन नही होती तब तक चित्र इल्लीगल या बुरा है ऐसे नही कह सकते है. वही लड़का ड्राइंग के बारे में काफी अछे तरीके से समझा रहा था की, चित्र जीवित रूप से दर्शाना चाहिए और वो चित्र बोलने वाली होनी चाहिए.
कोशिश यह थी की बच्चे विशेष कोर्स (specialization), उच्च शिक्षा शिक्षा का महत्व समझे. क्योंकि जिदंगी को वे केवल किसी आभास में ना जिए बल्कि रियलिटी ज्यादा जरुरी है. 
नववी कक्षा के एक लड़की के साथ मैंने इंटरव्यू लिया था. वह कह रही थी की वो टीचर बनना चाहती है क्योंकि उसने एक बार स्कूल में किसी टीचर को कुछ गलतियों को समझाते हुए देखा है. तो उस वक्त से उसे लगने लगा की वो भी टीचर बनकर बच्चो को एक सही राह दिखाना चाहती है. वो चाहती है की वो भी बच्चो को गलत करने से रोके, उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे. उसके आगे वो कह रही थी की वो गाव में रहने वाली है तो कुछ एक टीचर से जुड़े हुए कोर्स को करके, गाव में बच्चो को स्कूल में पढ़ाएगी. लेकिन वो काफी शिद्दत से टीचर बनने का सपना पूरा करना चाहती है.
कई सारी  लडकियों की रुची टीचर बनने के लिए थी. और उनमे से कुछ एक टीचर बनना चाहती थी. यह सारे कॉमर्स, आर्ट्स, और साइंस के स्टाल ऐसे लगे जैसे कोर्स बेचने वाले में से थे जैसे की सब्जियों, अन्य घरेलु चीजे की दुकाने होती है वैसे ही यह स्टाल भी एक दूकान का रूप धारण कर लिया था.

बाकी यह मेले मेरे लिए भी उतने हि यादगार रहेगे. क्योंकि मेरा डायरेक्ट सबंध बच्चो के साथ आ रहा था. मुझे भी बच्चो के साथ बातचीत करते हुए मजा आ रहा था. 

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