Saturday 2 May 2015

अपने जीवन के विजन को सामने लाना.......................

ज़िंदगी तेजी से बढती जा रही है. हर दिन कुछ ना कुछ मै सिख रही हु. कभी अपने टीचर्स से सीखती हु तो कभी अपने परिवार से, तो कोई अपने काम करने वाले सहयोगी से. तो कभी ऑनलाइन/ऑफलाइन शब्दों से. बहुत कुछ चल रहा. अपनी जीवन की दिशा का अंदाजा थोडा-थोडा आ रहा है. एक तरफ अपना काम और दूसरी तरफ अपनी  ज़िंदगी जो मेरे सामने दिखती है. कभी-कभी पता नहीं चल पाता कि क्या करे? पता नहीं चल रहा है कि जो मै अभी में महसूस कर रही हु वो सच है कि जो होनेवाला है वो सच है. लेकिन कहा जाता है कि जो ज़िदंगी अब चल रही है वही  सच है तब पर भी आनेवाली कल कि बात आती है मन में जिसके लिए दिमाग में अंदर योजनाये चलती रहती है. कुछ योजनाये अपने करीबी लोग अपने लिए बानाते है. तो मन कितने सारे सवालों पर खड़े आ उठता है. 


लेकिन अब यह सवाल आते है तो आने दो, क्योंकि उसकी खोज तो करनी ही है. लगता है की जीवन में संघर्ष आने ही वाला है और ना भी आये. जीवन को आसानी से गुजारा भी जा सकता है. तो यह आसानी, कठिनता तो जीवन का भाग ही है. तो क्यों इससे पीछे हटना, डरना या चिंतित होना. क्योंकि जीवन ऐसा ही है. उसमे भरपूर जिए यही लगता है. जब कभी मैंने लोगो के साथ बातचीत की है बड़े लेवल पर या एकल होकर तो वो कॉलेज के यूथ हो या कोई स्कूल के छात्राए या कोई शादी-शुदा पती-पत्नी या कोई बड़ी उम्र के व्यक्ती हो. उन्हें यही कहना है की जीवन का भरपूर मजा लुटे, उसमे आगे बढे, जीवन को सामना करने का धैर्य आना चाहिए. क्योंकि अपने पास लोग है, अपनी मन की ताकत है. तो क्यों ना हम आगे बढ़ सकते है. इन्ही बातो के साथ जीवन में विजन हो तो जीवन के रास्ते और भी साफ़-सुथरे हो जायेगे. उसमे कभी दिक्कत वाली स्थिति ना आएगी और आएगी भी तो उस को पार होकर जा सकते है. मुझे याद है अपने रिसर्च के डेटा कलेक्शन करते समय एक क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट ने मुझे कहा था जब भी हम चिंतित, परेशानी हो तो अपने जीवन के विजन को सामने लाये तो देखो आगे जाने के लिए मुश्किलें ना आएगी.


तो लगता है की जीवन को जिया जा सकता है, एक मेहमान की तरह हर ख़ुशी, गम को स्वागत किया जा सकता है. अगर ज्यादा ख़ुशी और गम हो जीवन में उसे अपने करीबी दोस्त, परिवार के लोग या अपने कोई mentor से साझा की जा सकती है ताकि उससे जीवन की कठिनता, परेशानी देखने का नजरिया मिलने लगता है. जीवन के सवालों को शब्द मिल जाते है और उन्ही शब्दों को मूर्तरूप दिया जा सकता है. 


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