अरे तुम भी तो उसी मोड़ में जो जहा पर मै हु. तुम भी तो उतनी वो सारी यादे
याद करते हो जो मै करती हु. तब पर भी यह इंतेजार क्यों? इतने फासले हम दोनों में
क्यों? मै चाहती हु तुम्हे मिली. अपनी ख्वाबों को तुम्हारे साथ पूर्ण होते हुए
देखू. तुम्हे रातभर प्यार करू. तुम्हारे आखो को अपने आप में समा लू. इतना चाहते हो
मुझे यह मुझे पता न था. अपने रोज की हड़बड़ी जीवन में मुझे याद कर लेते हो मै नहीं
जानती थी. मुझे माफ़ कर दो. मै खामखा तुमपर गुस्सा हो रही थी.
अच्छा जाने दो कल तुम मुझे क्या गिफ्ट दोगे. कल तो वैलेंटाइन डे है.
तुम्हारा पत्र तो उसके पहले ही मिला. इतनी बड़ी भेट भी मेरे लिए क्या हो सकती है. जो
तुमने मेरे लिए अपने मन के कोने को बताया जो मेरे प्यार के लिए बहती नदी की तरह
बहा रहे थे.
कितना याद करते हो मुझे. लेकिन अपने मन के उपर तुम्हे काबू है. दुनिया
के इस तमाम इच्छाओ को पूरा कर देते हो. अपनी खुद की इच्छा युही दबाए हुए बैठे
लेकिन तुम कहते हो ना वो दिन मिलने का जरुर आयेगा. जो अपने प्यार को हम दोनों साझा
करेगे. वो दिन सिर्फ अपना होगा. वहा पर कोई भी बंदिश ना होगी. उस दिन में सूरज
किरण भी जो कभी अच्छी नही लगती वो हमारे प्यार को चमकाएगा.
मिलने का दिन तो आयेगा ही लेकिन तब तक हमें अपने लिए कई सारी तय की गई
बातो को पूरा कर देना है. जो हमारी बेहतर जीवन का सफर तय करेगा. जो हमें उस शिखर
तक पहुचायेगा. तब तक यह जुदाई हमें ख़ुशी से जी लेनी होगी. ऐसा भी तो नहीं है ना की
हम दोनों एकदूसरे से दूर है. आजकल के internet, फ़ोन के ज़माने में तो हम दोनों बात
कर ही सकते है. है ना!
तब तक के लिए जुदाई ही सही. हम दोनों को अपने जीवन अपनी अपनी जगह
सुंदर कर देना है. तो चलो मिलती हु तुम्हे अपने दुसरे खत मे..................
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