Sunday 19 October 2014

जीवन और त्यौहार..................................

आजकल दिवाली का मौसम चल रहा है. घरोमे साफ़-सफाई चल रही है, घर में क्या बनाना चाहिए, क्या शोपिंग करनी है इसकी चर्चा हो रही है. कई सारे घरोमे में मिठाई, करंजी, लड्डू, नानखटाई बना रहे है. मैंने आज देखा बेकरी शॉप में कई सारी औरते अपने बच्चे, घर की औरतो के साथ नानखटाई बनाने के लिए याने की बेक करने के लिए आई थी. इतनी तेज गर्मी में दिवाली मनाने को उत्साह काफी गहरा था. एक औरत ने पूछा की कैसे बनाए नानखटाई तो बता दिया उसके बारे में भी बातचीत हुई. फिर कुछ देर बाद और एक औरत से बात हो रही थी. मैंने पूछा कौनसे गाव से हो? वो कहने लगी, जोधपुर से. मुझे ख़ुशी हुई, फिर उनके गाव के बारे में बातचीत शूर हुई. मैंने कहा की आपके यहाँ लव मैरिज होता है क्या? उन्होंने कहा की नहीं. मैंने कहा की आप शहर में रहने के बावजूद भी? तो बोली की, “हां! हमारे यहाँ होता ही नहीं लव मैरिज”.
मुझे याद है जिस राजस्थान के गाव में रहती  थी, वहां के एक लड़की को एक दुसरे गाव के लड़के से प्यार था. वे दोनों की अब शादी भी अलग-अलग जगह हो गई है. लेकिन अब भी एक दुसरे के प्रती प्यार है. कभी अगर मिलना हुआ तो बात करते है एकदूसरे से. लेकिन सच्चाई के पार नहीं जा सकते है. अब उन दोनों के सामने जो व्यक्ति है वही उनके लिए प्यार, हमदर्द, साथी है. जिसे शुरुआत में स्वीकारना हर लडके और लड़की के लिए मुश्किल हो सकता है जब उनकी शादी उनके मर्जी के बगैर हो जाती है.


मै जानती हु उन औरतो की जुबानी जिनके जीवन में उनके मर्जी के बगैर जब शादी हुई तो उन्हें क्या-क्या न सहना पड़ा. खासकर करके जब लैंगिक सबंध की बात करे तो, उनके मर्जी के बगैर शारीरक सबंध होता है तो जिस शारीरक तथा मानसिक पीड़ा से उन्हें गुजरना होता है जिनके बारे में वे सिर्फ अपने करीबी दोस्तों के साथ बात कर सकती है.

कुछ लडकियों की कहानी ऐसी है, जिन्होंने अपने इच्छा के अनुसार शादी की है, वो भी अपने पेरेंट्स के ना-पसिंदागार लड़के के साथ. कई सारे लकडिया इन भागे हुए शादी से अपने जीवन से खुश नहीं रह पाई है. उनके चेहरे पर मुझे ख़ामोशी, शादी का बोझ, दर्द नजर आता है. उनमें से कुछ लड़किया उनके जीवन में अपने हमसफर के मानसिक/शारीरिक हिंसा की शिकार है. कई सारे भागे हुए यह कपल बिना किसी के सपोर्ट (फॅमिली) से रह लेते है, कईयो का खुद का घर नहीं होता तो वे भाड़े से घर खरीद लेते है, साल-दो साल में बच्चा हो जाता है, तब तक वे दोनों काम भी करने लगते है. अगर वे पढ़े लिखे है तो नौकरी अच्छी  मिल जाती है. अगर नहीं तो जो भी काम लिए तो कर लेते है. कुछ लडकिया कहती है की शादी नहीं करनी चाहिए. कईयो तो शादी के बाद प्यार की रची-रचाई definition एकदम से शादी के सच के सामने नीली पड जाती है. और फिर हो जाता है उनके जीवन का संघर्ष कुछ बेहतर करने के लिए. लेकिन अगर वे ना कर पाए तो आये जैसे दिन को वो आगे निकल लेते है, प्यार, आदर, मान-सन्मान इनका नामोनिशान मानो होता है नहीं. वे सिर्फ अपने लिए, खुद के लिए जीते है. फिर एक घर में रहने के बावजूद भी लगता है की वे पडोसी है एकदुसरे से. कई सारे लड़के तो अपनी बीवी की पिटाई करते है, नशे की बीमारी भी आ जाती है. कुछ लडकिया तो अपने मन और शरीर बेचने के लिए भी कम नहीं करती अपने जीवन का गुजारा करने के लिए तो उसमे ना वो अपना पेट पालती है लेकिन उसके साथ-साथ अपने पती और बच्चे का भी.

अगर वे लडकिया पढ़ी लिखी है और उनके पेरेंट्स का सपोर्ट है तो उनके आनेवाले जीवन में कुछ तो अच्छा होने के चांसेस है. लेकिन अगर बगैर किसी सपोर्ट से जीवन तो बेहाल हो जाता है.


लेकिन तब पर भी त्यौहार तो हमसे छूटते नहीं. जीवन में कितने भी सारे चिंताए, परेशानिया हो लेकिन त्यौहारो के वजह से फिर एक बार खुश होने का मौक़ा मिलता है जिंदगी भर के लिए तो नहीं पर कुछ पलों के लिए सही. 

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