Wednesday 14 May 2014

टिस कि सीख जारी है.........................

मैंने अब तक अपने स्कूल में क्या सिखा? अगर यह सवाल कहा जाए तो इसके पहले मै कहूँगी की इस कॉलेज में एडमिशन हुआ है यही बड़ी बात है. दूसरी बात यह लगती है की, कितने सारे लोग मिले मुझे अलग-अलग तरीके के. बहुत अच्छे लोग है. हमारे क्लास में तो सारी लडकिया ही है. अब तक ८ वी से १० तक लडकियों के स्कूल में पढी उसके बाद, ११ वी भी लडकियों की स्कूल और फिर सोशल वर्क भी बड़े पैमाने पर लडकिया थी कुछ ही लड़के थे और अब क्लास में गिने-चुने लड़के है बाकी सारी लडकिया. यहाँ तक की हमारी फैकल्टी में एक ही मेल टीचर है बाकी सारे औरते टीचर्स है. पता नहीं मेरा औरतो के साथ कुछ तो रिश्ता है जो अब तक वही मेरे आसपास ज्यादा करके रहती है. हां लेकिन फेलोशीप में जिनके साथ रहती थी वहापर हम सिर्फ दो ही लडकिया थी एक मै और दूसरी अंकिता. बाकी चार लड़के और मेरे पीएल.

लेकिन छोडो इन लडकियो की बाते. आगे लिखते है की, टिस में आके मुझे बहुत कुछ सिखने मिला ज्यादा करके मेरे कोर्स के बारे में कई सारी जानकारी मुझे मिली. जिससे अपने कोर्स को समझने के लिए अच्छा खासा मौक़ा मिला. इस कोर्स की एक चीज मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती है इसमे दो चीजे है एक तो मुझे परीक्षा को ज्यादा प्रेशर नहीं है क्योंकि हमें ज्यादा करके मार्क्स assignment, क्लास पार्टिसिपेशन इन सबमे मार्क्स मिल जाते है और कुछ एक छोटीसी परीक्षा हो जाती है. जिसमे मार्क्स मिलना आसान हो जाता है. और दूसरी चीज इस कोर्स की,  यह की हमें क्लास में करने के लिए डेमो भी होता था जिसमे हमारे कौशल्यो के विकास होता था. और उसके साथ हमें फिल्ड वर्क भी होता वह भी दो दिन का. जिसमे तो नाकी मुझे अपने कौश्ल्यो और ज्ञान का इस्तेमाल होता था उसके साथ कई सारी रियलिटी पता चल रही थी, अपने विचारों के साथ-साथ कई भावनों के उतार-चढाव होते थे.


कोर्स का सेकंड सेमिस्टर काफी बिजी था, बहुत कुछ मैंने सिखा था. लेकिन वक्त के अभाव से पढ़ नहीं पाए. लेकिन कोई बात नहीं जानती तो हु? बस पढ़ना बाकी है. एक बात अपने लिए हमेशा के लिए रखना चाहती हु की, मै हमेशा विद्यार्थी बनकर रहना चाहती हु. क्योंकि पढने, सिखने और लिखने की चाव बढती रहे, जिससे अपने विकास बढ़ता रहे जो कभी ना थमेगा. 

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