कल एक शादी में गई थी.
गर्मी एक तरफा और शादी का माहोल अलग जगह अपनी जगह बना रहा था. एक विधी हो जाने के
बाद पता चला कि, लडके कि बहन शादी में ना पहुच सकी. इसलिये उसकी राह देखते हुए
आनेवाली गतीविधी को रोक दि गयी. अच्छा हुआ किसी ने ऐसे नही बोला कि अपशकून हुआ है.
वरना पता चलता ऐसी बाते होती तो कुछ अलग हि झमेला होता. दुल्हे कि शक्ल शादी में
देखने जैसे थी. काफी चिंतीत लग रहा था. पुरे शादी में उसका चेहरा काफी सैरभैर था.
दुल्हन को देखो तो वो बातो-बातो पर हसी ले रही थी. उसके चेहरे पर शर्म नाम कि चीज
नही होती (शर्म होनी चाहिये ऐसे समाज कहता है). लेकीन अच्छा लगा उसे इतना खुश
देखकर.
वैसे तो शादी साडे-पाच कि
थी. लेकीन लगी सात बजे! और उसमे भी विधी रुकने कि वजह से और आधे घंटे देरी से चल
रही थी. लेकीन कोई नही शादी तो हो हि गई. लोग खाना खाने के लिए और दुल्हा-दुल्हन रीसप्शन
कि तयारी के लिये चले गये. जैसे हि शादी खत्म हुई. सारे लोग खाने के पीछे लग गये.
खाना खाणे के लिये एक लंबी-चोडी line लगी. ऐसे लगा मानो सभी को एक हि वक़्त में भूख
लगी हो. शादी का हाँल तो काफी सुंदरता से सजा हुआ था. जहा पर खाने कि जगह थी उसकी
भी व्यवस्था ढंग से कि थी.
अब शादी और खाना दोनो हो
गया था. लोगो से लेना और देने के दोनो प्रोसेस पुरे हो गये थे. अब बस सारे लोगो का
जाने का समय आ चुका था और लडकी को भी उसके पती के घर! जाते वक़्त तो अक्सर गंभीर
माहोल बन जाता है. ऐसे लगता है कि, जैसे कि दुल्हन हमेशा के लिये जा रहि हो. कभी
ना लौटे अपने माता-पिता के घर. उनके आसुओ में वो खुश है या दुख है यह समझना उस
वक़्त मुश्कील होता है. शादी होने तक तो सारे हि बहुत हि खुश होते है. लेकीन जब
लडकी के घर ना जानेवाली बात आती है तो आंखो में आसू आने तक तो रहता नही है. लेकीन
इस गंभीर माहोल को देखते हुये लगता है कि, जाते वक़्त रोना हि है ऐसे लगता है. आज
तक मैने किसी भी शादी में नही देखा कि, लडकी ख़ुशी-ख़ुशी ससुराल लौटी हो. लेकीन जो
चीज अब बनी हो तो उसे बदलना भी मुश्कील है. जब शायद हर लडकी सोचना शुरू कर दे कि
उसे वाकई में लडके के घर जाकर रहना है कि अपने खुद के घर(यहा पर खुद का घर वो अपने
माता-पिता का भी हो सकता है या उसने खुद से खरीदा हुआ). अगर वो लडके के घर रहने जा
भी रही हो तो वो क्यो जा रही है यह वो खुद से सोचना शुरू कर दे. दुनिया क्या बोल
रही है यह तो तय है लेकीन एक इन्सान होने के नाते उसके लिये वो जगह कितना जरुरी
है. वो यह सोचना शुरू कर दे.
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