Sunday 19 April 2015

आत्महत्या में डूबती हुई जिन्दगी...............

आज आत्महत्या के बारे में बातचीत अपने कुछ दोस्तों से हो रही थी. पता चला की अपने एक फेलोशिप के दोस्त ने आत्महत्या की, क्योंकि कुछ तो उसके मंगेतर के साथ झगडा हुआ तो कुछ कह रहे थे की, उसके माता-पिता ने शादी के लिए मना किया था. अखबारों में भी यह घटना लिखी थी. ऐसी बाते सुनकर केवल मन में चु......चु होता है. दूसरी तरफ मन में सवाल आता है की उसने क्यों आत्महत्या की, ऐसी इतनी कौनसी बड़ी वजह थी की उसने आत्महत्या की? ऐसे कई सारे सवाल उस व्यक्ती के लिए मन में चलती है. अभी हाल में ही किसी से पता चला की लड़की के शादी जबरदस्ती करने की वजह से शादी के तीन-चार दिन बाद आत्महत्या कर ली. उसके ही साथ अपने किसी पहचान वाले रिश्ते में, एक 15-16 साल के वर्ष के लड़की ने आत्महत्या की. कोई कहता है की उसके चाल-चलन सही थे.

इस तरह की आत्महत्या सुनकर लगता है, की उस व्यक्ती ने किसी को बताया क्यों नही? अगर ना बता पाते तो मरने का तो ना सोचते. अपने बारे में थोड़ा तो सोचते? लेकिन ऐसे वक्त में कोई भी सवाल जीवन के प्रती उनका आता नही. वे केवल मरने की सोचते है, हताश होते है, उस समस्या के वजह से वे मरने के अलावा कुछ नही सोचते? उनके लगता है की, वे उस समस्या का हल निकाल ही नही सकते. वो सवाल बाहरी जीवन का हो या अंदरूनी जीवन का हो. लेकिन छोटे उम्र के लोग इस तरह का कदम उठाते है उन्हें तो पता भी नही होता के वे क्या करने जानेवाले है वे गुस्से या धमकी देकर इस तरह का कदम उठाकर अपने जीवन को नष्ट कर देते है. 

ऐसे वक्त में केवल उनके मिले हुए लिखने, बोलने या वे अधिकतर अपने आप को चुप रख देते है इस तरह के इंडिकेशन से पता चलता है की वे  का आत्महत्या करने का सोच सोच रहे है. त्वरित इस पर एक्शन उठाने की जरूरत है जिस किसी भी को पता चलता है की वे ऐसा सोच रहे है. जो भी आत्महत्या करने की सोच रहा होता है, वो व्यक्ती कभी भी नही चाहता की वो आत्महत्या करे वो केवल परेशानी के वजह से इस तरह के कदम उठाता है. ऐसे वक्त में उन्हें पुरे मानसिक सपोर्ट की जरूरत होती है. उन्हें यह दिलासा देने की जरूरत होती है की जो भी उनके जीवन में हो रहा हैं वो समस्या कुछ दिनों की मेहमान है. समस्या उनके जीवन पर हावी नही हो सकती. इस वजह से होगा की, वे ऐसा आत्महत्या का ना सोचते हुए वे केवल इन समस्या से सुलझाने की कोशिश करने पर लगे. 


बस कुलमिलाकर यही कहना है की इंसान खुद से अपने जीवन को ना छीने. मिले हुए जीवन को जिए, समस्या भले ही वे पूरी मिटा ना पाए लेकिन अपने किसी करीबी व्यक्ति के साथ बातकर करके कुछ तो हलका महसूस कर सकते है. समस्या को सुलझाने की मदद अपने किसी विश्वासु व्यक्ति के साथ कर सकते है. लेकिन जीने के उम्मीद को बचाए रखे.  

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