मेरे दो दिन का नासिक की ट्रिप काफी अच्छा रहा
अपने परिवार के साथ. लेकिन मै बर्थडे सेलिब्रेशन पूरा नहीं देख पाई क्योंकि मै
पोहची लेट. पर कोई बात नहीं, थोड़ा बहुत वक्त बिता पाए होटल में. उसके साथ-साथ
सजावट की फोटो भी खिची और एक अच्छे खाने का आस्वाद भी लीया. उसके दुसरे ही दिन बाद
हम अपने परिवार के साथ इगतपुरी, ग्लोबल मैडिटेशन सेंटर में चले गये थे. बड़ी
खुबसूरत जगह है. काफी बड़ा पहाड़ भी है वहा. बहुत मस्त हवा के झोके भी मुझे छु रहे
थे. वहा पर एक सेवक से मुलाक़ात भी हुई. वे थे मध्य-प्रदेश के रहने वाले, उन्होंने
हमें सेंटर की सैर कराई. वो कह रहे थे की एक ही वक्त में, करीबन ढाई सो लोग
मैडिटेशन कर सकते है. १० दिन और ४५ दिन के मैडिटेशन के लिए अलग-अलग जगह साधक
(मेडिटेटर) को दि जाती है. उसके साथ-साथ महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग हॉल तथा
कमरे और खाने-पीने मी व्यवस्था है. एक चीज इस सेंटर में अलग लगी की उसमे लोग जब
साधक ध्यान साधना करने जाते है तो उनके एक छोटासा कमरा दे दिया जाता है जिसमे वो
लोग एकदूसरे को देख भी नहीं पाते. और वो कमरा भी किसी इमारत या घर में नहीं होती
बल्कि एक भव्य घुमट के आकार जैसा बनायी हुई वास्तु है. वो आगे कह रहे थे की, वहापर
इस तरह की शांति होती है जहापर अपने छोटेसे इस घडी के काटो की आवाज तक सुनाई देती
है जो आमतौर पर हम सुन नहीं सकते. जिस सेवक से हमारी मुलाक़ात हो रही थी वे तो खुद
८० साल के है, जिनको मै देखकर चौक गई थी वो तो एकदम चल-फिर रहे थे और एक हमारे ही रिश्तेदार में एक दादाजी है जो करीबन ९० साल
है जो आज खुद भंतेजी है और वे वहा अपने परिवार से अलिप्त विहारे में ही रहते है.
लग रहा था की फिर एक बार मैडिटेशन की ओर अपने आप
को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि अपने रोजमर्रा जिंदगी को बेहतर, सुदृढ रख सकते है.
जिसमे अपने आप के जीवन में क्या पाना है वो तो नहीं जानते लेकिन बहुत सारा जीने की
ख्वाइश पूरी हो जायेगी.
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